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हिमाचल सरकार ने DC को चुनाव सामग्री उठाने को कहा- इलेक्शन की तैयारी रखें; कमीशन के ऑर्डर की अनुपालना सुनिश्चित हो

➤ सरकार ने डीसी को पंचायत और नगर निकाय चुनाव की तैयारी करने के निर्देश
➤ इलेक्शन कमीशन ने वोटर लिस्ट और आदेशों की अनुपालना को लेकर जताई नाराजगी
➤ सरकार हाईकोर्ट जाने की तैयारी में, पंचायत पुनर्गठन को आधार बनाया जा सकता है


हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर सियासी और प्रशासनिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इलेक्शन कमीशन के सख्त रुख के बाद प्रदेश सरकार अब नरम नजर आ रही है और पंचायतीराज विभाग ने सभी जिलों के डीसी को चुनाव संबंधी तैयारियां रखने के निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग के सेक्रेटरी सी पालरासू ने आज दोपहर बाद वर्चुअल बैठक में स्पष्ट कहा कि चुनाव सामग्री, वोटर लिस्ट और अन्य सभी प्रक्रियाएं कमीशन के आदेशों के अनुरूप होनी चाहिए और इसमें किसी भी प्रकार की देरी या लापरवाही स्वीकार नहीं होगी।

सूत्रों के अनुसार, पूर्व में सभी जिलों की वोटर लिस्ट तैयार तो की गई थी, लेकिन उन्हें पब्लिश नहीं किया गया था, जिसे इलेक्शन कमीशन ने आदेशों की अवहेलना माना है और इस पर कड़ा संज्ञान लिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए डीसी को सोमवार तक इंतजार करते हुए प्रक्रियाओं को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

बैठक में जिलाधिकारियों को चुनाव सामग्री उठाने के आदेश भी दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि कुछ जिलों के डीसी पहले ही सुरक्षा के साथ शिमला पहुंच गए थे, लेकिन उस समय उन्हें सामग्री देने से मना कर दिया गया था। अब विभाग ने स्थिति स्पष्ट करते हुए यह चरण शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

इसी बीच, आज सुबह इलेक्शन कमिश्नर अनिल खाची ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि खाची ने राज्यपाल को अवगत कराया कि प्रदेश सरकार और मंत्रियों द्वारा समय पर चुनाव कराने की इच्छा व्यक्त की जा रही है, लेकिन जिलों के कुछ डीसी कमीशन के आदेशों को लागू नहीं कर रहे, जिससे राज्यपाल भी नाराज बताए जा रहे हैं।

वहीं सरकार की तरफ से संकेत हैं कि यदि स्थिति न्यायिक मोड़ लेती है, तो प्रशासन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि प्रदेश में पंचायतों का पुनर्गठन आवश्यक है और इस प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की क्लॉज 12.1 में संशोधन की जरूरत है, ताकि चुनाव प्रक्रिया और पुनर्गठन दोनों एक साथ आगे बढ़ पाए।

हालांकि, चुनाव कब होंगे, इसका अंतिम निर्णय केवल इलेक्शन कमीशन ही करेगा, लेकिन सरकार और प्रशासनिक तंत्र एक बार फिर इस दिशा में सक्रिय होता दिखाई दे रहा है। हिमाचल में यह मामला सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि संवैधानिक और राजनीतिक मोर्चे पर भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।